Lucknow : सपा सम्मेलन में नौजवानों पर रहा फोकस

अखिलेश यादव

लखनऊ। सपा के सम्मेलन में सियासी समीकरण साधने की भरसक कोशिश की गई। इसकी झलक मंच से लेकर वरिष्ठ नेताओं की जुबां पर भी दिखी। सपा पार्टी की ताकत बढ़ाने के लिए दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के साथ नौजवानों पर पूर्णरूप से फोकस किया गया। प्रांतीय और राष्ट्रीय सम्मेलन में फ्रंटल संगठनों को तवज्जो मिली। इसके पीछे सियासी निहितार्थ हैं क्योंकि संघर्ष में युवाओं की टीम अग्रिम पंक्ति में रहती है। 


आपको बता दे, रमाबाई अंबेडकर मैदान में आयोजित सम्मेलन के दोनों दिन मंच पर सामाजिक सद्भाव दिखाने की भरपूर कोशिश की गई। मंच के बीच बैठे अखिलेश यादव के दाहिने और बाएं तरफ दोनों दिन अलग-अलग नेताओं को बैठने का मौका दिया गया। दाहिने तरफ पहले दिन प्रो. रामगोपाल यादव, किरनमय नंदा, माता प्रसाद पांडेय, मनोज पांडेय, स्वामी ओमवेश जैसे नेता थे तो दूसरे दिन राम गोविंद चौधरी, लालजी वर्मा, विशंभर निषाद और इंद्रजीत सरोज को मौका मिला। 


इसी तरह पहले दिन बाएं तरफ स्वामी प्रसाद मौर्य, लालजी सुमन, अवशेध प्रसाद रहे तो दूसरे दिन डिंपल यादव, जया बच्चन, सफीकुर्ररहमान बर्क, सलीम शेरवानी, विशंभर निषाद जैसे नेता मौजूद रहे। मंच के पीछे एक तरफ मुलायम सिंह यादव तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव की तस्वीर थी। बैनर पर सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. आंबेडकर, डॉ. लोहिया सहित अन्य महापुरुषों की तस्वीरें भी लगाई गईं थीं। पंडाल में जहां लोहिया से जुड़े नारे और तस्वीरें थीं, तो वहीं डॉ. आंबेडकर की तस्वीरें पार्टी में हो रहे बदलाव के संकेत दे रहे थे। 


मंचासीन वरिष्ठ नेताओं ने अपने भाषण में बार-बार पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक के साथ युवाओं की एकजुटता पर जोर दिया। मुलायम सिंह और कांशीराम की दोस्ती याद दिलाई गई। कांशीराम की नेतृत्व शक्ति का बखान किया गया। आजम खां, मदरसा सर्वे सहित अन्य प्रकरण के जरिए अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अन्याय पर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश हुई। पार्टी कार्यकर्ताओं और विभिन्न जिलों से आए प्रतिनिधियों को सपा संरक्षक मुलायम सिंह के नाम और समाजवादी सरकार में हुए कामों को समझाया गया।  

मुस्लिमों के साथ का दिया भरोसा 

पार्टी नेताओं को भरोसा दिया गया कि सपा से मुसलमानों के छिटकने की बात भाजपा की साजिश है। इस सम्मेलन के बहाने यह संदेश दिया गया कि दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक के साथ युवाओं की एकजुटता बनी रही तो पार्टी आगामी 2024 में सियासी तौर से करिश्मा दिखा सकती है। दोनों सम्मेलनों में फ्रंटल संगठनों के युवा नेताओं को आर्थिक-राजनीतिक प्रस्ताव पर चर्चा के लिए मंच से बोलने का मौका दिया गया। इसमें विश्वविद्यालय की समस्या से लेकर रोजगार की समस्या सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित अन्य नेताओं ने जोरशोर से उठाया। 


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