Meerut क्रिकेट की तूफानी बाउंसर गेंद हो या हाकी का गोली की माफिक तेज पेनाल्टी कार्नर। इन सबके बीच हेलमेट ना हो तो ये जानलेवा और घातक हो सकते हैं। इसके अलावा गोलीबारी और पत्थरबाजी में भी हेलमेट पुलिस का भारी बचाव करता है। मेरठ में अब स्पोर्ट्स हेलमेट की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एशिया का पहला टेस्टिंग केंद्र खुलने जा रहा है। यह टेस्टिंग सिर्फ यूरोपीय देशों में है। जिसमें पास होने के बाद ही बीएस-7928 सर्टिफिकेट मिलता है।
मेरठ। मेरठ में एशिया का पहला हेलमेट गुणवत्ता सेंटर खुलने जा रहा है। पहले चरण की सफलता के बाद मेरठ में दूसरे चरण में मिलिट्री,पुलिस के अलावा दोपहिया वाहनों के हेलमेट का टेस्टिंग सेंटर खुलेगा। मेरठ के स्पोर्ट्स कांपलेक्स स्थित एमएसएमई टेक्नोलोजी डेवलपमेंट सेंटर के डायरेक्टर सुनील गुप्ता ने जानकारी दी कि एमएसएमई की हब एंड स्पोक स्कीम के तहत हेलमेट का टेस्टिंग सेंटर प्रस्ताव पास हुआ है। मेरठ स्पोर्टस का हब है। यहां पर दर्जनों कंपनियां गेंद,क्रिकेट बैट, पैड, ग्लव्स और हेलमेट बनाती हैं।
मेरठ मे बने स्पोर्ट्स के सामान की आपूर्ति दुनियाभर के देशों में होती है। इन कंपनियों में बनने वाले हेलमेट जांच के लिए आरएंडडी सेक्शन में जाते हैं। लेकिन गुणवत्ता का प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए इनको यूरोपियन देशों पर ही निर्भर रहना पड़ता था। लेेकिन अब मेरठ में ही ये कंपनियां एमएसएमई टेक्नोलोजी डेवलपमेंट सेंटर में हेमलेट की टेस्टिंग करवा सकेंगी। इसकी एक एक्सटेंशन यूनिट राजधानी नई दिल्ली के ओखला में भी खोली जाएगी। कनाडा के विशेषज्ञों से ट्रेनिंग लेने के बाद अब टीम ने उपकरणों की खरीद शुरू कर दी है।
मेरठ में तीन महीने के भीतर ही हाकी, क्रिकेट और आइस हाकी एवं अन्य खेलों में प्रयोग होने वाले हेलमेटों की टेस्टिंग शुरू हो जाएगी। इंजीनियर आदित्य शर्मा ने जानकारी दी कि सामने या बगल से आने वाली गेंद हेलमेट से कितनी तेज टकराएगी। इसकी जांच करने के लिए फेसियल कांटैक्ट टेस्ट किया जाएगा। उन्होंने बताया कि स्पोर्ट्स कंपनियां हेल्मेट की टेस्टिंग पहले कनाडा, यूएसए, यूके और आस्ट्रेलिया में करवाती हैं। जहां पर जांच का खर्च आठ लाख रुपये आता है। लेकिन मेरठ में महज अब दो लाख में हेलमेट के गुणवत्ता की जांच हो सकेगी।
