नई दिल्ली। कर्नाटक में 291 दिन पहले उठे हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सर्वसम्मत फैसला नहीं हो सका। कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया। तीन दिन बाद रिटायर होने जा रहे जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक सरकार के हिजाब बैन के फैसले को सही ठहराया, तो जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाई कोर्ट के बैन जारी रखने के आदेश को रद्द कर दिया। खंडित फैसले के कारण अब यह मामला बड़ी पीठ को सौंपा जाएगा।
जस्टिस गुप्ता ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब समेत सभी तरह की धार्मिक पोशाकों पर प्रतिबंध से जुड़े कर्नाटक सरकार के सर्कुलर को सही ठहराते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया। दूसरी तरफ जस्टिस धूलिया ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया। जस्टिस गुप्ता और जस्टिस धूलिया की पीठ ने 10 दिन तक दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद बीते 22 सितंबर को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस गुप्ता आगामी 16 अक्टूबर को रिटायर होने वाले हैं। उन्हीं की अध्यक्षता में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने जोर देकर कहा कि मुस्लिम लड़कियों को कक्षाओं में हिजाब पहनने से रोकने से उनकी पढ़ाई खतरे में पड़ जाएगी। कुछ वकीलों ने मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने की गुजारिश की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलील में कहा कि पीएफआइ ने स्कूल-कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए उकसाया। कर्नाटक सरकार की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि हिजाब को लेकर विवाद खड़ा करने वाला कर्नाटक सरकार का फैसला 'धार्मिक रूप से तटस्थ था। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, देवदत्त कामत, राजीव धवन और संजय हेगड़े समेत 20 से ज्यादा वकीलों ने दलीलें पेश कीं।
पूरा देश हिजाब विवाद पर फैसले का इंतजार कर रहा था, लेकिन खंडित फैसले के बाद यह विवाद लंबा चल सकता है। बड़ी पीठ नए सिरे से मामले पर सुनवाई करेगी, क्योंकि इसमें दूसरे जज होंगे। सीजेआइ तय करेंगे कि कौन-सी पीठ कब सुनवाई शुरू करेगी। सीजेआइ जो पीठ गठित करेंगे, उसमें जजों की संख्या तीन या इससे ज्यादा हो सकती है। सुनवाई के दौरान जस्टिस गुप्ता और जस्टिस धूलिया की तरफ से उठाए गए सवालों पर भी नई पीठ विचार कर सकती है। जब तक फैसला नहीं आ जाता, तब तक कर्नाटक हाई कोर्ट का आदेश जारी रहेगा। यानी हिजाब पर प्रतिबंध लागू रहेगा।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने बीते 15 मार्च को मुस्लिम छात्राओं की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिनमें कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति मांगी गई थी। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनकर आने पर कर्नाटक सरकार की ओर से लगाए प्रतिबंध को हटाने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट में 11 दिन इस मामले की सुनवाई हुई थी।
